Motivational Story
99% लोग क्यों सफल नहीं होते। Success Hindi Motivational Story
Hello दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आप सभी अच्छे होंगे। दोस्तों क्या आपने कभी सोचा की 99% लोग क्यों सफल नहीं होते। ऐसा इसलिए है क्योकि ये 99% लोग खुद को बहुत ही ज्यादा समझदार समझते है। आज की दुनिया में लोगो की ऐसी सोच हो गयी है। ये ना तो किसी सफल व्यक्ति से सीखना चाहते है की वे सफल कैसे बने और ना ही किसी असफल व्यक्ति की असफलताओं से कुछ सीखना चाहते है। आइये एक Motivational Story से समझते है की किसी भी High Achiever का mindset किस प्रकार कार्य करता है।
एक बार की बात है दो दोस्त थे राम और मोहन। राम अपने जीवन के कठीन समय से गुजर रहा था। उसे जीवन में बार असफलता मिल रही थी। लेकिन मोहन एक High achiever था। मोहन की खास बात यह थी की वह जो भी काम करता था। उसमे सफल जरूर होता था।एक दिन राम, मोहन से मिलने आया, और उससे उसकी सफलता का राज पूछा। यह सुनकर मोहन मुस्कुराने लगा, और बोला की असफल व्यक्तियों की असफलताओं से ही मैंने सफल होना सीखा है। यह सुनकर राम सोच में पड़ गया और बोला कि यह कैसे संभव है। किसी असफल व्यक्ति की असफलताओं से सीखकर तुम सफल कैसे बन सकते हो।
वो करो जो १% लोग कर रहे है।
मोहन ने कहा – मैं तुम्हे यह राज बता दूँगा लेकिन पहले मुझे बताओ की तुम असफल कैसे हुए। राम ने कहा – मेरे पास बहुत पैसा था, और मैं एक अमीर व्यक्ति का जीवन जी रहा था। मैं ओर भी अधिक पैसा कमाना चाहता था। इसलिए मैंने एक कंपनी खोली। मैं जल्दी सफल होना चाहता था। इसलिए उसी साल मैंने दूसरी कंपनी भी खोल दी।
मेरा सारा का सारा पैसा इन दोनों कंपनी में लग गया। मैंने जल्दबाजी में दो कंपनी खोल तो ली लेकिन मैं अपनी किसी भी कंपनी को पूरा समय नहीं दे पा रहा था। जिसके कारण कुछ ही समय बाद दोनों कंपनी loss में चली गयी। मैं दोनों कंपनी से होने वाले loss को profit में बदल सकता था। लेकिन मेरे पास उस loss को पुरे करने के लिए पैसे ही नहीं बचे थे। धीरे – धीरे कंपनी का घाटा बढ़ता चला गया और दूसरे ही साल मेरी दोनों कंपनी बंद हो गयी।
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यह सब सुनकर मोहन ने राम से कहा – तुम्हारी असफलता दे दो कारण थे। एक तो तुमने दो कंपनी एक ही साल में खोल ली। जिसके कारण तुम किसी भी कंपनी को पूरा समय नहीं दे पाये। दुसरा – तुमने अपना सारा का सारा पैसा इस दोनों कंपनी में लगा दिया और जब तुम्हे घाटा हुआ। उससे उभरने के लिए तुम्हारे पास एक भी पैसा नहीं बचा। जिसके कारण तुम आज एक असफल व्यक्ति हो। मैं इसी प्रकार असफल व्यक्ति के द्वारा की गयी गलतियों से सीख लेकर सफल होता रहा हूँ।
दोस्तों इस Motivational Story से मैं आपको ये समझाना चाहता हूँ। की हमारी जिंदगी इतनी बड़ी नहीं है। की हम अपने द्वारा की गयी गलतियों से सीख लेकर उन्हें सुधारे। अगर आप अपने हर काम में सफल होना चाहते हो। तो अपने द्वारा की गयी गलतियों के साथ साथ दुसरो के द्वारा की गयी गलतियों से भी सिख ले। ऐसे किसी भी रास्ते पर मत चलो जिस पर चलकर असफल व्यक्ति सफलता पाना चाहते थे। ऐसे किसी भी काम को मत करो। जो असफल व्यक्तियों ने सफलता पाने के लिए किया हो।
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सफलता पाने के दो रास्ते है। पहला – आप उस रास्ते पर चले। जिस पर चलकर किसी व्यक्ति ने सफलता प्राप्त की हो। यानि की आपको एक सफल व्यक्ति का अनुसरण करना है। दूसरा – आपको पता करना है की कोई भी व्यक्ति असफल क्यों हुआ। यानि की आपको असफल व्यक्तियों की असफलताओं से सीख लेनी है। इस दुनिया में जितने भी High Achievers है चाहे वह Bill Gates हो, Steve Jobs हो कोई भी हो सभी ने इन्ही दो रास्तो पर चलकर सफलता प्राप्त की है।
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भगवान ने उस व्यक्ति को एक लाल रंग का चमकदार पत्थर दिया और कहा “जाओ इस पत्थर की कीमत का पता लगा लो, तुम्हे अपनी ज़िन्दगी की कीमत का भी पता चल जाएगा. लेकिन ध्यान रहे कि इस पत्थर को बेचना नहीं है”
फल वाले ने पत्थर को ध्यान से देखा और कहा “मुझसे 10 संतरे ले जाओ और ये पत्थर मुझे दे दो”
सब्ज़ी वाले ने कहा कि मुझसे एक बोरी आलू की ले जाओ और ये पत्थर मुझे बेच दो लेकिन भगवान् के कहे अनुसार उस व्यक्ति ने कहा कि नहीं मैं ये बेच नहीं सकता.
फिर वो व्यक्ति उस पत्थर को लेकर एक सुनियार की दूकान में गया जहाँ कई तरह-तरह के आभूषण पड़े हुए थे. उस व्यक्ति ने सुनियार को वो पत्थर दिखाया और उस सुनियार ने बड़े गौर से उस पत्थर को देखा और फिर कहा “मैं तुम्हे 1 करोड़ रुपये दूंगा, ये पत्थर मुझे बेच दो.” फिर उस व्यक्ति ने सुनियार से माफ़ी मांगी और कहा कि ये पत्थर मैं बेच नहीं सकता। सुनियार ने फिर कहा “अच्छा चलो ठीक है, मैं तुम्हे 2 करोड़ दूंगा, ये पत्थर मुझे बेच दो”
सुनियर की बात सुनकर वो व्यक्ति चौंक गया लेकिन सुनियार को मन कर वो आगे बढ़ गया और एक हीरे बेचने वाले की दूकान में गया.
हीरे के व्यापारी ने उस लाल चमकदार पत्थर को पूरे 10 मिनट तक देखा और फिर एक मलमल का कपडा लिया और उस पत्थर को उस पे रख दिया। फिर उस व्यापारी ने अपना सर उस पत्थर पर लगा कर माथा टेका और कहा “तुम्हे ये कहा मिला, ये इस दुनिया में सबसे अनमोल रत्न है. अगर इस दुनिया की पूरी दौलत भी लगा दी जाए तो इस पत्थर को नहीं खरीद सकता.”
ये सुन वो व्यक्ति बहुत हैरान हुआ और सीधा भगवान के पास गया और उन्हें आप बीती बताई और फिर उसने भगवान से पुछा “हे भगवन अब मुझे बताईये कि मेरे इस जीवन की क्या कीमत है?”
भगवान ने कहा “फल वाले ने, सब्ज़ी वाले ने, सुनियार ने और हीरे के व्यापारी ने तुम्हे जीवन की कीमत बता दी थी. हे मनुष्य, किसी के लिए तुम एक पत्थर के टुकड़े सामान हो और किसी के लिए बहुमूल्य रत्न समान। हर किसी ने अपनी जानकारी अनुसार तुम्हे उस पत्थर की कीमत बताई लेकिन उस हीरे के व्यापारी ने इस पत्थर को पहचान लिया। ठीक उसी तरह कुछ लोग तुम्हारी कीमत नहीं पहचानते इसलिए ज़िन्दगी में कभी निराश मत हो. इस दुनिया में हर मनुष्य के पास कोई ना कोई ऐसा हुनर होता है जो सही वक़्त पर निखार कर आता है लेकिन उसके लिए परिश्रम और धैर्य की ज़रूरत है.
एवरेस्ट पर जाने वालों को राह दिखाती हैं रास्ते में पड़ीं 300 से ज्यादा लाशें
एवरेस्ट पर मरने वाले पर्वतारोहियों के शव को वापस लाना बेहद मुश्किल होता है. इसलिए उन्हें वहीं छोड़ दिया जाता है. पर्वतारोहियों के शव से ही एवरेस्ट पर चढ़ने के रास्ते का पता चलता है. ये शव भविष्य में आने वाले पर्वतारोहियों के लिए मील के पत्थर का काम करते हैं.
दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर एवरेस्ट की चढ़ाई काफी खतरनाक साबित हुई है और बीते 9 दिनों में 11 पर्वतारोहियों की मौत हो चुकी है. एवरेस्ट पर फतह का पहला असफल प्रयास 1921 में हुआ था. जबकि पहली सफलता 1953 में एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नोर्गे ने हासिल की. एवरेस्ट पर चढ़ाई दुनिया के सबसे कठिन और संघर्षपूर्ण कार्यों में से एक है. एवरेस्ट पर चढ़ने के पहले प्रयास से लेकर अब तक 308 से ज्यादा पर्वतारोहियों की मौत हो चुकी है.
8848 मीटर (29,029 फीट) ऊंचे एवरेस्ट में सबसे ज्यादा मौतें 8000 मीटर (26,000 फीट) और उसके ऊपर से शुरू होती हैं. इसे डेथ जोन कहते हैं. एवरेस्ट पर मरने वाले पर्वतारोहियों के शव के वापस लाना बेहद मुश्किल होता है. इसलिए उन्हें वहीं छोड़ दिया जाता है. पर्वतारोहियों के शव से ही एवरेस्ट पर चढ़ने के रास्ते का पता चलता है. ये शव एवरेस्ट पर फतह करने के लिए भविष्य में आने वाले पर्वतारोहियों के लिए मील के पत्थर का काम करते हैं. इन्हीं शवों को देखकर नए पर्वतारोहियों को सही रास्ते का पता चलता है.
एवरेस्ट पर 98 सालों से पड़ी ये लाशें सड़ती नहीं हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है एवरेस्ट का तापमान. एवरेस्ट का न्यूनतम तापमान -16 डिग्री से - 40 डिग्री तक रहता है. इस तापमान में मरे हुए पर्वतारोहियों के शव खराब नहीं होते.
एवरेस्ट पर मौत का सबसे बड़ा कारण एवलांच
· 1970 में 6 मौतें.
· 1974 में 6 मौतें.
· 1996 में 12 मौतें.
· 2014 में 16 मौतें.
· 2015 में 22 मौतें.
किस देश के कितने पर्वतारोहियों की मौत
· नेपालः 119
· भारत-जापानः 19-19
· यूकेः 17
· यूएसएः 15
· चीनः 12
· द. कोरियाः 11
· ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, पोलैंड, रूसः 7-7
· कनाडा, फ्रांसः 6-6
· चेकोस्लोवाकियाः 5
· स्पेनः 4
· बुल्गारिया, आयरलैंड, इटली, न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंडः 3-3
· ऑस्ट्रिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, हंगरी, स्लोवेनिया, ताईवान, यूगोस्लावियाः 2-2
· अन्यः 13
एवरेस्ट पर किस वजह से कितनी मौतें
· एवलांच- 68
· गिरने से- 67
· एक्सपोजर- 27
· एल्टीट्यूड सिकनेस- 21
· दिल का दौरा- 11
· थकान- 15
· अन्य- 83
एवरेस्ट के किस हिस्से में कितनी मौतें
· चोटी के पास (8848 मीटर)- 50% गिरने से, 10% दिमाग के सूजने से और 40% अज्ञात कारणों से.
· साउथ कॉलम (7906 मीटर)- 55.6% एक्सपोजर से, 11.1% दिमाग के सूजने से, 11.1% थकान और 22.2% गिरने से.
· लोसे फेस (7400 मीटर)- 42.8% एवलांच से, 14.3% गिरने से, 14.3% बर्फ गिरने से, 14.3% नुकीले पत्थरों से और 14.3% अज्ञात.
· नॉर्थ कॉलम (7020 मीटर)- 100% मौतें सिर्फ एवलांच से.
· बेस कैंपः 30.7% गिरने से, 15.4% हार्ट अटैक से और बाकी अन्य कारणों से.
एवरेस्ट पर पर्वतारोहियों का ट्रैफिक जाम
इस बार मौसम खराब रहने की वजह से एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए काफी कम समय मिला था. साथ ही नेपाल ने इस बार रिकॉर्ड 381 लोगों को परमिट जारी किया. परमिट के लिए 7.6 लाख रुपये चार्ज किए जाते हैं. इसकी वजह से एवरेस्ट पर पर्वतारोहियों को भीड़ का सामना करना पड़ रहा है. एक पर्वतारोही की ओर से इंस्टाग्राम पर पोस्ट की गई फोटो में दुनिया की सबसे ऊंची पहाड़ की चोटी पर ट्रैफिक जाम सा नजारा दिख रहा है. काफी संख्या में पर्वतारोही लाइन में लगकर एवरेस्ट के टॉप पर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं.
नेपाल के टूरिज्म डिपार्टमेंट की प्रवक्ता मीरा आचार्य के मुताबिक, एवरेस्ट पर जान गंवाने वाले लोगों में 2 भारतीय थे. 52 साल की कल्पना दास चोटी पर पहुंचने में सफल रहीं, लेकिन उतरने के दौरान गुरुवार को उनकी मौत हो गई थी. वहीं, 27 साल के निहाल भगवान भी वापस आने के रास्ते में मारे गए.
असफलता सफलता से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है
सभी के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब सभी चीज़ें आपके विरोध में हो रहीं हों और हर तरफ से निराशा मिल रही हो| चाहें आप एक प्रोग्रामर हैं या कुछ और, आप जीवन के उस मोड़ पर खड़े होता हैं जहाँ सब कुछ ग़लत हो रहा होता है| अब चाहे ये कोई सॉफ्टवेर हो सकता है जिसे सभी ने रिजेक्ट कर दिया हो, या आपका कोई फ़ैसला हो सकता है जो बहुत ही भयानक साबित हुआ हो |
लेकिन सही मायने में, विफलता सफलता से ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है | हमारे इतिहास में जितने भी बिजनिसमेन, साइंटिस्ट और महापुरुष हुए हैं वो जीवन में सफल बनने से पहले लगातार कई बार फेल हुए हैं | जब हम बहुत सारे कम कर रहे हों तो ये ज़रूरी नहीं कि सब कुछ सही ही होगा| लेकिन अगर आप इस वजह से प्रयास करना छोड़ देंगे तो कभी सफल नहीं हो सकते |
हेनरी फ़ोर्ड, जो बिलियनेर और विश्वप्रसिद्ध फ़ोर्ड मोटर कंपनी के मलिक हैं | सफल बनने से पहले फ़ोर्ड पाँच अन्य बिज़निस मे फेल हुए थे | कोई और होता तो पाँच बार अलग अलग बिज़निस में फेल होने और कर्ज़ मे डूबने के कारण टूट जाता| लेकिन फ़ोर्ड ने ऐसा नहीं किया और आज एक बिलिनेअर कंपनी के मलिक हैं |
अगर विफलता की बात करें तो थॉमस अल्वा एडिसन का नाम सबसे पहले आता है| लाइट बल्व बनाने से पहले उसने लगभग 1000 विफल प्रयोग किए थे |
अल्बेर्ट आइनस्टाइन जो 4 साल की उम्र तक कुछ बोल नहीं पता था और 7 साल की उम्र तक निरक्षर था | लोग उसको दिमागी रूप से कमजोर मानते थे लेकिन अपनी थ्ओरी और सिद्धांतों के बल पर वो दुनिया का सबसे बड़ा साइंटिस्ट बना |
अब ज़रा सोचो कि अगर हेनरी फ़ोर्ड पाँच बिज़नेस में फेल होने के बाद निराश होकर बैठ जाता, या एडिसन 999 असफल प्रयोग के बाद उम्मीद छोड़ देता और आईन्टाइन भी खुद को दिमागी कमजोर मान के बैठ जाता तो क्या होता?
हम बहुत सारी महान प्रतिभाओं और अविष्कारों से अंजान रह जाते |
तो मित्रों, असफलता सफलता से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है…..
असफलता ही इंसान को सफलता का मार्ग दिखाती है। किसी महापुरुष ने बात कही है कि –
“Winners never quit and quitters never win”
जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी जीत नहीं सकते
आज सभी लोग अपने भाग्य और परिस्थियों को कोसते हैं। अब जरा सोचिये अगर एडिसन भी खुद को अनलकी समझ कर प्रयास करना छोड़ देता तो दुनिया एक बहुत बड़े आविष्कार से वंचित रह जाती। आइंस्टीन भी अपने भाग्य और परिस्थियों को कोस सकता था लेकिन उसके ऐसा नहीं किया तो आप क्यों करते हैं।
अगर किसी काम में असफल हो भी गए हो तो क्या हुआ ये अंत तो नहीं है ना, फिर से कोशिश करो, क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
मित्रों असफलता तो सफलता की एक शुरुआत है, इससे घबराना नहीं चाहिये बल्कि पूरे जोश के साथ फिर से प्रयास करना चाहिये..
ये Motivational Story बदल देगीं आपकी जिंदगी
हौंसला बढ़ाने वाली ये Inspiring Motivational Story आपको निराशा से निकालकर सफलता की ओर ले जायेंगी|हर व्यक्ति के जीवन में कुछ कार्य ऐसे जरुर होते हैं जिन्हें करना हमेशा असंभव ही लगता है.. और जब कोई दूसरा व्यक्ति आकर उसी असंभव काम को संभव करके दिखा देता है तो हमें लगता है कि यार वो बहुत लकी है|दरअसल, असंभव कार्य को करने के लिए जितनी कठोर मेहनत की आवश्यकता होती है, उतनी आपने कभी की ही नहीं..कोई भी काम असंभव नहीं होता, बल्कि थोडा कठिन होता है| जब कोई काम इतना कठिन होता है जिसे हम आसानी से नहीं कर सकते तो बस हम उसे असंभव कहने लगते हैं, यही असंभव शब्द जब हमारे दिमाग में बैठ जाता है तो हम फिर प्रयास करना ही बंद कर देते हैं|
आपको याद होगा कि पहले वन डे क्रिकेट में 300 रन बनाना, किसी भी टीम के लिए बहुत बड़ी बात होती थी, अगर किसी टीम ने 300 रन बना लिए तो उसकी जीत निश्चित हो जाती थी क्यूंकि उस समय तक 300 रन को पछाड़ना असंभव सा प्रतीत होता था|
लेकिन समय बदला, नए लोग आये… पिच पर रन तेजी से बनने लगे और आज तो वन डे में 300 रन बनाना बहुत मामूली सी बात है, अब तो लोग 400 रन को भी पछाड़ देते हैं| पहले वन डे में शतक बनाने पर बहुत तारीफें होती थीं और वन डे में दोहरा शतक लगाना तो असंभव ही था| उसके बारे में तो कोई सोचता भी नहीं था…लेकिन हमारे मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने लोगों के इस भ्रम को तोडा और वन डे में 200 रन बनाकर एक कीर्तिमान स्थापित किया.. और ये कहानी यहीं नहीं रुकी, कुछ ही दिन बाद विस्फोटक बल्लेबाज सहवाग ने भी दोहरा शतक लगा दिया| इसके बाद 200 रन कई लोग अब बना चुके हैं|
तो मित्रों असंभव तो कुछ था ही नहीं.. बल्कि काम बेहद कठिन था इसलिए हम उसे असंभव मान बैठे|
कोई फर्क नहीं पड़ता, अगर आपने असंभव मान लिया…अरे कोई फर्क नहीं पड़ता, अगर आपने प्रयास नहीं किया…कोई फर्क नहीं पड़ता.. अगर आपने हिम्मत छोड़ दी
लेकिन एक बात याद रखना.. एक ना एक दिन एक ऐसा शख्स आयेगा जो इस असंभव को संभव बना कर दिखा देगा.. और ऐसा करके वो शख्स दुनिया में छा जायेगा और सिर्फ यही बोलोगे कि वो लकी है|दुनिया में मेहनत करने वालों की कमी नहीं है| आप नहीं तो कोई और सही.. असंभव के चक्रव्यूह को कोई आकर चुटकियों में ढेर कर देगा|तो मित्रों, असंभव शब्द को अपने मन, मष्तिष्क से निकाल दीजिये क्यूंकि यह शब्द आपको आगे बढ़ने से रोक रहा है|
